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थानेदार के फेना रिपोर्ट को IAS अधिकारी ने आधार बनाकर कर कूट रचना करने वालों को क्यों बचाया….? “मामला जैन स्कूल के 500 करोड संपत्ति का” —मृतक का हस्ताक्षर पर फारेंसिक विशेषज्ञ की राय को संज्ञान में क्यों नहीं लिया गया

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*थानेदार के फेना रिपोर्ट को IAS अधिकारी ने आधार बनाकर कर कूट रचना करने वालों को क्यों बचाया*
मामला जैन स्कूल के 500 करोड संपत्ति का
*मृतक का हस्ताक्षर पर फारेंसिक विशेषज्ञ की राय को संज्ञान में क्यों नहीं लिया गया*

रायपुर/राजनंदगांव (क्रांतिकारी संकेत) प्रदेश के बहुचर्चित मामले श्री देव आनंद जैन शिक्षक संघ राजनांदगांव में अध्यक्ष प्रवीण श्री श्रीमाल दुर्ग निवासी ने फर्जी हस्ताक्षर कर दस्तावेजों की कूट रचना वाले मामले में राखी थाना प्रभारी रायपुर के द्वारा दिलचस्प ढंग से मामले को असंज्ञेय अपराध बनाकर धारा 155 के तहत मामला न्यायालय में चलायें जाने योग्य बताकर अपनी जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ लिया। वहीं इसे आधार बनाकर कुटरचित दस्तावेजों के रचियताओं के द्वारा रजिस्टर फर्म्स एवं संस्थाएं में यह उल्लेख कर की थाना प्रभारी ने संपूर्ण बिंदुओं पर सूक्ष्मता से जांच कर सभी पक्षों का बयान लिपिबद्ध कर आरोपों को खारिज कर दिया है जांच रिपोर्ट में थाना प्रभारी ने स्पष्ट उल्लेख किया है कि आवेदक जांच पर श्री देव आनंद जैन शिक्षण संघ पर आवेदक एवं उनके अन्य सहयोगियों का एकाधिकार रहे इस उद्देश्य से आवेदकों के विरुद्ध झूठा शिकायत करना पाया गया उल्लेखनीय है कि फॉर्म्स एवं संस्थाएं कार्यालय ने इसेे प्रकरण के फैसले में राजनांदगांव निवासी तिलोकचंद बोहरा के साथ 19 सदस्यों संस्था के सचिव गौतम पारख , ट्रस्टी दिलीप देशलहरा दुर्ग सहित कुल 21 व्यक्तियों के खिलाफ संस्था के अध्यक्ष दुर्ग निवासी प्रवीण श्री श्रीमान ने थाना प्रभारी राखी थाना नया रायपुर में शिकायत दर्ज कराई थी उनके द्वारा गंभीर आरोप सहित 500 करोड़ की संपत्ति पर फर्जी वाड़ा कर आधिपत्य करने के संबंध में आरोप लगाए थे, क्रांतिकारी संकेत संवाददाता को मिले दस्तावेजों और फर्म्स एवं संस्थाओं के रजिस्ट्रार द्वारा 3 जनवरी 2024 को इस मामले में दिए फैसले की प्रति में यह आश्चर्यजनक उल्लेख देखने मिला जिसे आधार बनाकर रजिस्ट्रार IAS अधिकारी सत्यनारायण राठौर ने थाना प्रभारी राखी थाना रायपुर के द्वारा लालच अथवा दबाव व इस मामले में उचित जांच ना कर इस न्यायालय में जाने की सलाह देकर अपना पल्ला झाड़ लिया था किंतु 21 आरोपियों की चालाकी, प्रभाव अथवा दबाव से रजिस्ट्रार अधिकारी सत्यनारायण राठौर ने भी अपने फैसले में आंख बंद कर लिखित में त्रिलोकचंद बोहरा का बयान यह लिखा जाता है कि- मेरे सहित 19 सदस्यों सचिव गौतम जी पारख ट्रस्टी श्री दिलीप देशलहरा दुर्ग सहित कुल 21 व्यक्तियों के खिलाफ श्री प्रवीण श्री श्रीमाल ने थाना प्रभारी राखी थाना नया रायपुर में शिकायत दर्ज कराई थी उनके(तिलोकचंद बोहरा सहित 21 व्यक्तियों) द्वारा एक गंभीर 500 करोड़ की संपत्ति पर फर्जीवाड़ा कर आधिपत्य करने के संबंध में आरोप लगाए गए थे जो की पूर्णतः दुर्भावना पूर्ण एवं तथ्य व साक्ष्य विहीन थे थाना प्रभारी ने संपूर्ण बिंदुओं पर सूक्ष्मता से जांच कर सभी पक्षों का बयान लिपिबद्ध कर आरोपों को एक सिरे से खारिज कर दिया है जांच रिपोर्ट में थाना प्रभारी ने स्पष्ट उल्लेख किया है कि आवेदक जांच पर श्री देव आनंद जैन शिक्षक संघ पर आवेदक प्रवीण श्री श्रीमाल एवं उनके अन्य साथियों का एकाधिकार रहे इस उद्देश्य से आवेदकों के विरुद्ध झूठा शिकायत आवेदन करना पाया गया। थाना प्रभारी की रिपोर्ट की प्रति इस पत्र के साथ संलग्न बताया गया कृपया जांच प्रतिवेदन व निष्कर्ष का अवलोकन कर लेवे जिससे आरोप स्वयं ही शुन्य हो गए हैं,इस तरह के बयान का फैसले में उल्लेख कर तत्कालीन रजिस्ट्रार सत्यनारायण राठौर वर्तमान संभाग आयुक्त दुर्ग जो की एक सुलझे हुए आईएएस अधिकारी कहे जाते हैं ने न जाने किसी दबाव में आकर बिना तथ्य को समझे बिनाजाने केवल एक थाना प्रभारी के धारा 155 में काटे गए और असंज्ञेय अपराध बताकर जिसे न्यायालय में जाने की सलाह बताया जाता है इस पर की सूक्ष्म जांच सभी पक्षों का बयान थानेदार के द्वारा आरोपों को खारिज करने का सक्षम अधिकारी और निष्कर्ष देने वाला न्यायाधीश मानते हुए फर्जी हस्ताक्षर में फोरेंसिक एक्सपर्ट की लगी रिपोर्ट को भी नजर अंदाज क्यों कर दिया गया यह जांच का विषय है। इस मामले में संवाददाता को वरिष्ठ अधिवक्ताओं एवं सामाजिक क्षेत्र में सरोकार रखने वाले, भ्रष्टाचार के खिलाफ कार्य करने वाले लोगों की यह राय मिली कि इस मामले को देश के उच्चतम न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश ,देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ,मुख्यमंत्री छत्तीसगढ़ शासन के साथ-साथ आर्थिक अपराध ब्यूरो, लोकायुक्त और ईडी जैसी संस्थाओं से भी जांच कराए जाने की जरूरत है ताकि राजनेताओं के दबाव ,पैसों की खनक और डर के आधार पर दिये फैसलों का खुलासा आम जनता के सामने हो सके और सच्चाई उजागर हो

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